श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान का संविधान
1. संस्था का नाम - इस संस्था का नाम श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान है व रहेगा।2. पंजीकृत कार्यालय इस संस्था का पंजीकृत कार्यालय ग्राम पीपासर तह. एवं जिला नागौर (राज.) है तथा तथा कार्यक्षेत्र - अध्यक्षीय कार्यालय अलग से भी संचालित किया जा सकेगा। इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण राजस्थान क्षेत्र होगा।3. संस्था के उद्देश्यः इस संस्था के निम्नलिखित उद्देश्य है- 1. पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए आकाश,वायु,तेज,जल,धरणी सभी तत्वों का संरक्षण करना।
2. वन्यजीवों की सुरक्षा करना,शिकार का विरोध करना,शिकार की घटनाओं की पैरवी करना।
3. वन्यजीवों की सेवा करने के लिए चुग्गा पानी,चारा आदि की व्यवस्था करना।
4. वन्यजीवों का उपचार एवं चिकित्सा सेवा के लिए अस्पताल आदि संस्थाएं स्थापित करना एवं संचालन करना।
5. स्वस्थ मानव समाज का निर्माण करने के लिए नशों का विरोध करना। नशा छोड़ने की प्रेरणा देना, नशा छोड़ने वाले लोगों की मदद करना।
6. मानव मात्र को नशों से दूर रहने की प्रेरणा देने के लिए विभिन्न आयोजन कराना।
7. वृक्षारोपण करना, वृक्षों की कटाई का विरोध करना, वृक्ष काटने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करवाना।
8. वृक्षों की सेवा करने के लिए उनकी सुरक्षा का इंतजाम,पानी सींचने की व्यवस्था जनसहयोग से करवाना।
9. वृक्षों को बचाने के लिए बलिदान देने वाले लोगों की अगुवाई करने वाली महिला शहीद अमृतादेवी बिश्नोई के नाम से विभिन्न स्थानों पर वाटिकाएं,उद्यान आदि की स्थापना जनसहयोग एवं सरकार के सहयोग से कराना।
10. समाज सेवा, असहाय लोगों की सेवा करना।
11. धर्म प्रचार करना व धर्म पर दृढ़ रहने के लिए प्रेरणा देने वाले कार्यक्रम आयोजित कराना।
12. पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विभिन्न प्रकार के विश्व दिवस एवं अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाना, सम्बन्धित विषयों पर गोष्ठियां आयोजित करवाना।
13. पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं देने वाले लोगों को प्रोत्साहित एवं सम्मानित करना।
14. पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देने वाले ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करना।
15. वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण तथा नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले उपयोगी साहित्य का सृजन करना, प्रकाशित करना तथा प्रसारित करना।
16. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एवं सरकार द्वारा संचालित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन एवं प्रचार प्रसार में सरकारी विभागों का सहयोग करना।
17. पर्यावरण संरक्षण,वन्यजीव संरक्षण तथा नशामुक्त जीवन जीने की कला सिखाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाना।
18. लोगों को नशामुक्त करने के लिए चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना।
19. विद्यार्थी वर्ग को पर्यावरण संरक्षण के लिए कृत संकल्प करने हेतु शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से संकल्प दिलाना,उक्त विषयों पर प्रतियोगिताएं आयोजित कराना।
20. महिला वर्ग को पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण एवं नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य करने के लिए आगे लाना।
21. समयानुकूल आवश्यकता के अनुसार जनोपयोगी, जन कल्याण एवं परोपकार के कार्य करना।
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति में कोई लाभ निहित नहीं है।
4. सदस्यताः- निम्न योग्यता रखने वाले व्यक्ति संस्था के सदस्य बन सकेंगेः- 1. संस्था के कार्यक्षेत्र में निवास करते हों। 2. बालिग हो। 3. संस्था के उद्देश्यों में रुचि व आस्था रखते हो। 4. संस्था के हित को सर्वोपरि समझते हो।
5. सदस्यों का वर्गीकरणः
संस्था के सदस्य निम्न प्रकार वर्गीकृत होंगेः-
1. संरक्षक 2. विशिष्ठ 3. सम्माननीय 4. कार्यकारिणी 5. साधारण
6. सदस्यों द्वारा प्रदत्त शुल्क व चन्दाः
उप नियम संख्या 4 में अंकित सदस्यों द्वारा निम्न प्रकार शुल्क व चन्दा देय होगाः-
1. संरक्षक राशि 1100 रूपये वार्षिक, 11000 रूपये आजीवन
2. विशिष्ठ राशि 500 रूपये वार्षिक, 5100 रूपये आजीवन
3. सम्माननीय राशि 250 रूपये वार्षिक
4. कार्यकारिणी राशि 150 रूपये वार्षिक
5. साधारण राशि 100 रूपये वार्षिक
उक्त राशि एक मुश्त जमा कराई जा सकेगी।
7. सदस्यता से निष्कासनः- संस्था के सदस्यों का निष्कासन निम्न प्रकार किया जा सकेगाः- 1. संस्था के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर 2. प्रबन्धकारिणी द्वारा दोषी पाये जाने पर 3. त्याग पत्र देने पर 4. कोमा में जाने या मृत्यु होने पर उक्त प्रकार के निष्कासन की अपील 15 दिन के अन्दर-अदर लिखित में आवेदन करने पर साधारण सभा के निर्णय हेतु वैध समझी जावेगी तथा साधारण सभा के बहुमत का निर्णय अन्तिम होगा।
8. साधारण सभाः- संस्था के उपनियम संख्या 5 में वर्णित समस्त प्रकर के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे
9. साधारण सभा के साधारण सभा के निम्न अधिकार और कर्तव्य होंगेः-
1. प्रबन्धकारिणी का चुनाव करना
2. वार्षिक बजट पारित करना।
3. प्रबन्धकारिणी द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करना व पुष्टि करनां
4. संस्था के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधान में संशोधन, परिवर्तन अथवा परिवर्द्धन करना। (जो रजिस्ट्रार के कार्यालय में फाईल कराया जाकरक प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने पर लागू होगा।)
10. साधारण सभा की बैठकें-
1. साधारण सभा की वर्ष में एक बैठक अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यकता पड़ने पर विशेष सभा अध्यक्ष/मंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी।
2. साधारण सभा की बैठक का कोरम कुल सदस्यों का 1/3 होगा।
3. बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 3 दिन पूर्व दी जायेगी।
4. कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुनः 7 दिन पश्चात निर्धारित स्थान व समय पर आहूत की जा सकेगी। ऐसी स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी लेकिन विचारणीय विषय वहीं होंगे जो पूर्व एजेण्डा में थें
5. संस्था के 1/3 अथवा 15 सदस्य इनमें से जो भी कम हों, के लिखित आवेदन करने पर मंत्री/अध्यक्ष द्वारा 1 माह के अन्दर-अन्दर बैठक आहूत करना अनिवार्य होगा।
11. कार्यकारिणी का गठनः-
संस्था के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रबन्धकारिणी का गठन किया जायेगा, जिसके पदाधिकारी व सदस्य निम्न प्रकार होंगे-
1. अध्यक्ष
2. वरिष्ठ उपाध्यक्ष
3. उपाध्यक्ष
4. महामंत्री
5. मंत्री
6. कोषाध्यक्ष
7. संयुक्त कोषाध्यक्ष
8. महिला मंत्री
9. प्रचार मंत्री
10. संगठन मंत्री
11. सह संगठन मंत्री
इस प्रकार सभा में 11 पदाधिकारी व 20 सदस्य कुल 31 सदस्य होंगे।
12. कार्यकारिणी का निर्वाचनः-
1. संस्था की प्रबन्धकारिणी का चुनाव 5 वर्ष की अवधि के लिए साधारण सभा द्वारा किया जावेगा।
2. चुनाव प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा किया जावेगा।
3. चुनाव अधिकारी की नियुक्ति प्रबन्धकारिणी द्वारा की जावेगी।
13. कार्यकारिणी के अधिकार और कर्तव्यः-
संस्था के निम्नलिखित अधिकार व कर्तव्य होंगे-
1. सदस्य बनाना/ निष्कासित करना।
2. वार्षिक बजट तैयार करना।
3. संस्था की सम्पति की सुरक्षा करना।
4. वैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति करना तथा उनके वेतन भतो का निर्धारण करना व सेवामुक्त करना।
5. साधारण सभा द्वारा पारित निर्णयों को क्रियान्वित करना।
6. कार्य व्यवस्था हेतु उप समितियां बनाना।
7. अन्य कार्य जो संस्था के हितार्थ हों, करना।
14. कार्यकारिण की बैठकेंः-
1. कार्यकारिणी की वर्ष में कम से कम 5 बैठकें अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यक होने पर बैठकें अध्यक्ष/मंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी।
2. बैठक का कोरम प्रबन्धकारिणी की कुल संख्या के आधे से अधिक होगा।
3. बैठक की सूचना प्रायः 7 दिन पूर्व दी जावेगी तथा अत्यावश्यक बैठक की सूचना परिचालन से कम समय में भी दी जा सकती है।
4. कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुनः दूसरे दिन निर्धारित स्थान व समय पर होगी। ऐसी स्थगित बैठक में कोरम की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन विचारणीय विषय वहीं होंगे, जो पूर्व एजेण्डा में थे।ऐसी स्थगित बैठक में उपस्थित सदस्यों के अतिरिक्त प्रबन्धकारिणी के कम से कम दो पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इस सभा की कार्यवाही की पुष्टि आगामी आमसभा में कराना आवश्यक होगा।
15. प्रबन्धकारिणी के संस्था की प्रबन्धकारिणी के अधिकार व कर्तव्य निम्न प्रकार होंगेः-
1. अध्यक्षः
1. बैठकों की अध्यक्षता करना।
2. मत बराबर आने पर निर्णायक मत देना।
3. बैठकें आहूत करना।
4. संस्था का प्रतिनिधित्व करना।
5. संविदा तथा अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना।
2. वरिष्ठ उपाध्यक्ष व उपाध्यक्षः-
1. अध्यक्ष की अनुपस्थ्ािित में अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का प्रयोग करना
2. प्रबन्धकारिणी द्वारा प्रदत अन्य अधिकारों का उपयोग करना।
3. महामंत्री
1. बैठकें आहूत करना।
2. कार्यवाही लिखना तथा रिकाॅर्ड रखना।
3. आय-व्यय पर नियंत्रण करना।
4. वैतनिक कर्मचारियों पर नियंत्रण करना तथा उनके वेतन व यात्रा बिल आदि पास करना।
5. संस्था का प्रतिनिधित्व करना व कानूनी दस्तावेजों पर संस्था की ओर से हस्ताक्षर करना।
6. पत्र व्यवहार करना।
7. सम्पति की सुरक्षा हेतु वैधानिक अन्य कार्य जो आवश्यक हो।
4. मंत्री
1. मंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री पद के समस्त कार्य संचालन करना।
2. अन्य कार्य जो प्रबन्धकारिणी/मत्रंी द्वारा सौपे जाव।
5. कोषाध्यक्ष व संयुक्त कोषाध्यक्ष
1. वार्षिक लेखा जोखा तैयार करना।
2. दैनिक लेखों पर नियंत्रण रखना।
3. चन्दा/शुल्क/अनुदान आदि प्राप्त कर रसीद देना।
4. अन्य प्रदत कार्य सम्पन्न करना।
6. संगठन मंत्री व प्रचार मंत्री
1. संस्था में अधिक से अधिक सदस्यों को जोड़ना
2. संस्था के उद्देश्यों तथा कार्यों का प्रचार प्रसार करना।
3. कार्यकारिणी द्वारा सौंपे गये कार्य करना।
16. संस्था का कोषः- संस्था का कोष निम्न प्रकार से संचित होगा
1. चन्दा
2. शुल्क
3. अनुदान
4. सहायता
5. राजकीय अनुदान
1. उक्त प्रकार से संचित राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सुरक्षित रखी जायेगी।
2. अध्यक्ष/मंत्री/कोषाध्यक्ष में से किन्हीं दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक में लेन-देन सम्भव होगा।
17. कोष सम्बन्धी संस्था के हित में तथा कार्य व समय की आवश्यकतानुसार निम्न पदाधिकारी संस्था विशेषाधिकार की राशि एक मुश्त स्वीकृत कर सकेंगेः-
1. अध्यक्ष - 11 हजार रूपये
2. मंत्री - 5100 रूपये
3. कोषाध्यक्ष - 1000 रूपये
उपरोक्त राशि का अनुमोदन प्रबन्धकारिणी से कराया जाना आवश्यक होगा। अंकेक्षक की नियुक्ति प्रबन्धकारिणी द्वारा की जायेगी।
18. संस्था का अंकेक्षणः संस्था के समस्त लेखाजोखों का वार्षिक अंकेक्षण कराया जायेगा। वार्षिक लेखे रजिस्ट्रार संस्थाऐं नागौर को प्रस्तुत करना होगा।
19. संस्था के विधान में परिवर्तनः-संस्था के विधान में आवश्यकतानुसार साधारण सभा के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से परिवर्तन, परिवर्द्धन अथवा संशोधन किया जा सकेगा जो राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 की धारा 12 के अनुरूप होगा।
20. संस्था का विघटनः- यदि संस्था का विघटन आवश्यक हुआ तो संस्था की समस्त चल व अचल सम्पति समान उद्देश्य वाली संस्था को हंस्तातरित कर दी जावेगी। लेकिन उक्त समस्त कार्यवाही राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अध्ािनियम 1958 की धारा 13 व 14 के अनुरूप होगी। रजिस्ट्रार संस्थाएं को पंजीयन रद्द करने का पूर्ण अधिकार होगा।
21. संस्था के लेखे जोखे रजिस्ट्रार संस्थाएं नागौर को संस्था के रिकार्ड का निरीक्षण/ जांच करने का पूर्ण अधिकार होगा व उनके द्वारा दिए गए सुझावों की पूर्ति की का निरीक्षणः- जावेगी।
प्रमाणित किया जाता है कि उक्त विधान (नियमावली) श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की सही व सच्ची प्रति है।
रामरतन बिश्नोई भानूसिंह सियाग अनोपाराम डूडी
अध्यक्ष महामंत्री कोषाध्यक्ष
2. वन्यजीवों की सुरक्षा करना,शिकार का विरोध करना,शिकार की घटनाओं की पैरवी करना।
3. वन्यजीवों की सेवा करने के लिए चुग्गा पानी,चारा आदि की व्यवस्था करना।
4. वन्यजीवों का उपचार एवं चिकित्सा सेवा के लिए अस्पताल आदि संस्थाएं स्थापित करना एवं संचालन करना।
5. स्वस्थ मानव समाज का निर्माण करने के लिए नशों का विरोध करना। नशा छोड़ने की प्रेरणा देना, नशा छोड़ने वाले लोगों की मदद करना।
6. मानव मात्र को नशों से दूर रहने की प्रेरणा देने के लिए विभिन्न आयोजन कराना।
7. वृक्षारोपण करना, वृक्षों की कटाई का विरोध करना, वृक्ष काटने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करवाना।
8. वृक्षों की सेवा करने के लिए उनकी सुरक्षा का इंतजाम,पानी सींचने की व्यवस्था जनसहयोग से करवाना।
9. वृक्षों को बचाने के लिए बलिदान देने वाले लोगों की अगुवाई करने वाली महिला शहीद अमृतादेवी बिश्नोई के नाम से विभिन्न स्थानों पर वाटिकाएं,उद्यान आदि की स्थापना जनसहयोग एवं सरकार के सहयोग से कराना।
10. समाज सेवा, असहाय लोगों की सेवा करना।
11. धर्म प्रचार करना व धर्म पर दृढ़ रहने के लिए प्रेरणा देने वाले कार्यक्रम आयोजित कराना।
12. पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित विभिन्न प्रकार के विश्व दिवस एवं अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाना, सम्बन्धित विषयों पर गोष्ठियां आयोजित करवाना।
13. पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं देने वाले लोगों को प्रोत्साहित एवं सम्मानित करना।
14. पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देने वाले ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करना।
15. वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण तथा नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले उपयोगी साहित्य का सृजन करना, प्रकाशित करना तथा प्रसारित करना।
16. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एवं सरकार द्वारा संचालित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन एवं प्रचार प्रसार में सरकारी विभागों का सहयोग करना।
17. पर्यावरण संरक्षण,वन्यजीव संरक्षण तथा नशामुक्त जीवन जीने की कला सिखाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाना।
18. लोगों को नशामुक्त करने के लिए चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना।
19. विद्यार्थी वर्ग को पर्यावरण संरक्षण के लिए कृत संकल्प करने हेतु शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से संकल्प दिलाना,उक्त विषयों पर प्रतियोगिताएं आयोजित कराना।
20. महिला वर्ग को पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण एवं नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य करने के लिए आगे लाना।
21. समयानुकूल आवश्यकता के अनुसार जनोपयोगी, जन कल्याण एवं परोपकार के कार्य करना।
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति में कोई लाभ निहित नहीं है।
4. सदस्यताः- निम्न योग्यता रखने वाले व्यक्ति संस्था के सदस्य बन सकेंगेः- 1. संस्था के कार्यक्षेत्र में निवास करते हों। 2. बालिग हो। 3. संस्था के उद्देश्यों में रुचि व आस्था रखते हो। 4. संस्था के हित को सर्वोपरि समझते हो।
5. सदस्यों का वर्गीकरणः
संस्था के सदस्य निम्न प्रकार वर्गीकृत होंगेः-
1. संरक्षक 2. विशिष्ठ 3. सम्माननीय 4. कार्यकारिणी 5. साधारण
6. सदस्यों द्वारा प्रदत्त शुल्क व चन्दाः
उप नियम संख्या 4 में अंकित सदस्यों द्वारा निम्न प्रकार शुल्क व चन्दा देय होगाः-
1. संरक्षक राशि 1100 रूपये वार्षिक, 11000 रूपये आजीवन
2. विशिष्ठ राशि 500 रूपये वार्षिक, 5100 रूपये आजीवन
3. सम्माननीय राशि 250 रूपये वार्षिक
4. कार्यकारिणी राशि 150 रूपये वार्षिक
5. साधारण राशि 100 रूपये वार्षिक
उक्त राशि एक मुश्त जमा कराई जा सकेगी।
7. सदस्यता से निष्कासनः- संस्था के सदस्यों का निष्कासन निम्न प्रकार किया जा सकेगाः- 1. संस्था के उद्देश्यों के विपरीत कार्य करने पर 2. प्रबन्धकारिणी द्वारा दोषी पाये जाने पर 3. त्याग पत्र देने पर 4. कोमा में जाने या मृत्यु होने पर उक्त प्रकार के निष्कासन की अपील 15 दिन के अन्दर-अदर लिखित में आवेदन करने पर साधारण सभा के निर्णय हेतु वैध समझी जावेगी तथा साधारण सभा के बहुमत का निर्णय अन्तिम होगा।
8. साधारण सभाः- संस्था के उपनियम संख्या 5 में वर्णित समस्त प्रकर के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे
9. साधारण सभा के साधारण सभा के निम्न अधिकार और कर्तव्य होंगेः-
1. प्रबन्धकारिणी का चुनाव करना
2. वार्षिक बजट पारित करना।
3. प्रबन्धकारिणी द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करना व पुष्टि करनां
4. संस्था के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधान में संशोधन, परिवर्तन अथवा परिवर्द्धन करना। (जो रजिस्ट्रार के कार्यालय में फाईल कराया जाकरक प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने पर लागू होगा।)
10. साधारण सभा की बैठकें-
1. साधारण सभा की वर्ष में एक बैठक अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यकता पड़ने पर विशेष सभा अध्यक्ष/मंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी।
2. साधारण सभा की बैठक का कोरम कुल सदस्यों का 1/3 होगा।
3. बैठक की सूचना 7 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 3 दिन पूर्व दी जायेगी।
4. कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुनः 7 दिन पश्चात निर्धारित स्थान व समय पर आहूत की जा सकेगी। ऐसी स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी लेकिन विचारणीय विषय वहीं होंगे जो पूर्व एजेण्डा में थें
5. संस्था के 1/3 अथवा 15 सदस्य इनमें से जो भी कम हों, के लिखित आवेदन करने पर मंत्री/अध्यक्ष द्वारा 1 माह के अन्दर-अन्दर बैठक आहूत करना अनिवार्य होगा।
11. कार्यकारिणी का गठनः-
संस्था के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रबन्धकारिणी का गठन किया जायेगा, जिसके पदाधिकारी व सदस्य निम्न प्रकार होंगे-
1. अध्यक्ष
2. वरिष्ठ उपाध्यक्ष
3. उपाध्यक्ष
4. महामंत्री
5. मंत्री
6. कोषाध्यक्ष
7. संयुक्त कोषाध्यक्ष
8. महिला मंत्री
9. प्रचार मंत्री
10. संगठन मंत्री
11. सह संगठन मंत्री
इस प्रकार सभा में 11 पदाधिकारी व 20 सदस्य कुल 31 सदस्य होंगे।
12. कार्यकारिणी का निर्वाचनः-
1. संस्था की प्रबन्धकारिणी का चुनाव 5 वर्ष की अवधि के लिए साधारण सभा द्वारा किया जावेगा।
2. चुनाव प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा किया जावेगा।
3. चुनाव अधिकारी की नियुक्ति प्रबन्धकारिणी द्वारा की जावेगी।
13. कार्यकारिणी के अधिकार और कर्तव्यः-
संस्था के निम्नलिखित अधिकार व कर्तव्य होंगे-
1. सदस्य बनाना/ निष्कासित करना।
2. वार्षिक बजट तैयार करना।
3. संस्था की सम्पति की सुरक्षा करना।
4. वैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति करना तथा उनके वेतन भतो का निर्धारण करना व सेवामुक्त करना।
5. साधारण सभा द्वारा पारित निर्णयों को क्रियान्वित करना।
6. कार्य व्यवस्था हेतु उप समितियां बनाना।
7. अन्य कार्य जो संस्था के हितार्थ हों, करना।
14. कार्यकारिण की बैठकेंः-
1. कार्यकारिणी की वर्ष में कम से कम 5 बैठकें अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यक होने पर बैठकें अध्यक्ष/मंत्री द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी।
2. बैठक का कोरम प्रबन्धकारिणी की कुल संख्या के आधे से अधिक होगा।
3. बैठक की सूचना प्रायः 7 दिन पूर्व दी जावेगी तथा अत्यावश्यक बैठक की सूचना परिचालन से कम समय में भी दी जा सकती है।
4. कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुनः दूसरे दिन निर्धारित स्थान व समय पर होगी। ऐसी स्थगित बैठक में कोरम की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन विचारणीय विषय वहीं होंगे, जो पूर्व एजेण्डा में थे।ऐसी स्थगित बैठक में उपस्थित सदस्यों के अतिरिक्त प्रबन्धकारिणी के कम से कम दो पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इस सभा की कार्यवाही की पुष्टि आगामी आमसभा में कराना आवश्यक होगा।
15. प्रबन्धकारिणी के संस्था की प्रबन्धकारिणी के अधिकार व कर्तव्य निम्न प्रकार होंगेः-
1. अध्यक्षः
1. बैठकों की अध्यक्षता करना।
2. मत बराबर आने पर निर्णायक मत देना।
3. बैठकें आहूत करना।
4. संस्था का प्रतिनिधित्व करना।
5. संविदा तथा अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना।
2. वरिष्ठ उपाध्यक्ष व उपाध्यक्षः-
1. अध्यक्ष की अनुपस्थ्ािित में अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का प्रयोग करना
2. प्रबन्धकारिणी द्वारा प्रदत अन्य अधिकारों का उपयोग करना।
3. महामंत्री
1. बैठकें आहूत करना।
2. कार्यवाही लिखना तथा रिकाॅर्ड रखना।
3. आय-व्यय पर नियंत्रण करना।
4. वैतनिक कर्मचारियों पर नियंत्रण करना तथा उनके वेतन व यात्रा बिल आदि पास करना।
5. संस्था का प्रतिनिधित्व करना व कानूनी दस्तावेजों पर संस्था की ओर से हस्ताक्षर करना।
6. पत्र व्यवहार करना।
7. सम्पति की सुरक्षा हेतु वैधानिक अन्य कार्य जो आवश्यक हो।
4. मंत्री
1. मंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री पद के समस्त कार्य संचालन करना।
2. अन्य कार्य जो प्रबन्धकारिणी/मत्रंी द्वारा सौपे जाव।
5. कोषाध्यक्ष व संयुक्त कोषाध्यक्ष
1. वार्षिक लेखा जोखा तैयार करना।
2. दैनिक लेखों पर नियंत्रण रखना।
3. चन्दा/शुल्क/अनुदान आदि प्राप्त कर रसीद देना।
4. अन्य प्रदत कार्य सम्पन्न करना।
6. संगठन मंत्री व प्रचार मंत्री
1. संस्था में अधिक से अधिक सदस्यों को जोड़ना
2. संस्था के उद्देश्यों तथा कार्यों का प्रचार प्रसार करना।
3. कार्यकारिणी द्वारा सौंपे गये कार्य करना।
16. संस्था का कोषः- संस्था का कोष निम्न प्रकार से संचित होगा
1. चन्दा
2. शुल्क
3. अनुदान
4. सहायता
5. राजकीय अनुदान
1. उक्त प्रकार से संचित राशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सुरक्षित रखी जायेगी।
2. अध्यक्ष/मंत्री/कोषाध्यक्ष में से किन्हीं दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक में लेन-देन सम्भव होगा।
17. कोष सम्बन्धी संस्था के हित में तथा कार्य व समय की आवश्यकतानुसार निम्न पदाधिकारी संस्था विशेषाधिकार की राशि एक मुश्त स्वीकृत कर सकेंगेः-
1. अध्यक्ष - 11 हजार रूपये
2. मंत्री - 5100 रूपये
3. कोषाध्यक्ष - 1000 रूपये
उपरोक्त राशि का अनुमोदन प्रबन्धकारिणी से कराया जाना आवश्यक होगा। अंकेक्षक की नियुक्ति प्रबन्धकारिणी द्वारा की जायेगी।
18. संस्था का अंकेक्षणः संस्था के समस्त लेखाजोखों का वार्षिक अंकेक्षण कराया जायेगा। वार्षिक लेखे रजिस्ट्रार संस्थाऐं नागौर को प्रस्तुत करना होगा।
19. संस्था के विधान में परिवर्तनः-संस्था के विधान में आवश्यकतानुसार साधारण सभा के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से परिवर्तन, परिवर्द्धन अथवा संशोधन किया जा सकेगा जो राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 की धारा 12 के अनुरूप होगा।
20. संस्था का विघटनः- यदि संस्था का विघटन आवश्यक हुआ तो संस्था की समस्त चल व अचल सम्पति समान उद्देश्य वाली संस्था को हंस्तातरित कर दी जावेगी। लेकिन उक्त समस्त कार्यवाही राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अध्ािनियम 1958 की धारा 13 व 14 के अनुरूप होगी। रजिस्ट्रार संस्थाएं को पंजीयन रद्द करने का पूर्ण अधिकार होगा।
21. संस्था के लेखे जोखे रजिस्ट्रार संस्थाएं नागौर को संस्था के रिकार्ड का निरीक्षण/ जांच करने का पूर्ण अधिकार होगा व उनके द्वारा दिए गए सुझावों की पूर्ति की का निरीक्षणः- जावेगी।
प्रमाणित किया जाता है कि उक्त विधान (नियमावली) श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था राजस्थान की सही व सच्ची प्रति है।
रामरतन बिश्नोई भानूसिंह सियाग अनोपाराम डूडी
अध्यक्ष महामंत्री कोषाध्यक्ष